समुझी नहिं तस बालपन तब अति रहेउँ अचेत॥ samujhī nahi̐ tasa bālapana taba ati raheu̐ aceta ॥ तुलसी वहाँ न जाइये, चाहे कञ्चन बरसे मेर ॥ सिया पति राम चन�
समुझी नहिं तस बालपन तब अति रहेउँ अचेत॥ samujhī nahi̐ tasa bālapana taba ati raheu̐ aceta ॥ तुलसी वहाँ न जाइये, चाहे कञ्चन बरसे मेर ॥ सिया पति राम चन�